जांगिड़ समाज लोग अंगिराऋषि की संतान है। अंगिराऋषि ब्राह्मार्षि थे। दिग्विजयी प्रतापी होने के कारण इन्हे जांगिड कह गया । अंगिरा ऋषि(अंगिरसो) के आश्रम जांगल देश मे थे इसलिये भी अंगिरस स्थान के नाम से जांगिड कहलाये। आदि शिल्पाचार्य भुवन पुत्र विश्वकर्मा देवों के शिल्पी होने से जाँगिड कहलाये। विश्वकर्मा जी अंगिराकुल के होने के कारण हमारी वंश परम्परा के पूज्यनीय एवं हमारे प्रेरक गुरु और भगवान है।
